||माँ ||
कहाँ हो तुम ????????
आज बहुत याद आ रही हो .आज कुछ सवाल पूछने हैं
मैंने ये सवाल तुमसे पूछे तो कई बार लेकिन तुम हर बार मुझे बहला लेती थी .
और इसी प्रकार बहलाते बहलाते मेरे सारे सवालों के जवाब बिना बताये
चली गयी .पर आज वही सवाल मुझसे मेरी बेटी पूछती है .
मैं उसे क्या उत्तर दूँ ???
हमारा जन्म भी पुरुषों की तरह ही हुआ है
फिर भी एक शासक और एक शोषित क्यों है ?स्त्री जन्म के रूप में ये कैसी दलदल
है जिसमें हम जन्म से धंसे हुए आती हैं और जीवन भर धंसी रहती हैं ?
ये कैसी शर्त है इस जीवन की इसमें आप स्वयं तो डूबें ही जाने से पहले एक और
स्त्री को इस दलदल में गहरे तक जाने के लिए विवश करें .
बिना शर्त की कुछ और शर्तें भी हैं जिन्हें मानना ही एकमात्र विकल्प है
आपको जीवन भर बस एक ही काम पूरे मनोयोग से करना है कि कोई
स्त्री इस दलदल से निकलना भी चाहे तो उसे नहीं निकलने देना है औरयदि
आप इस पुनीत कार्य में सहयोग नहीं करेंगी तो आप अच्छी स्त्री नहीं हैं
काश: माँ तुम अच्छी स्त्री बनने के लालच में ना पड़ी होती .
क्या मिला आपको ? मुझे छोड़ गयी किसी दलदल में धंसा कर .
और दुनिया वही सब मुझसे चाहती है .
पर मुझे अच्छी स्त्री की उपाधि पाने का कोई लालच नहीं है .मेरे लिए एक स्त्री का अस्तित्व ज्यादा महत्वपूर्ण है .और मै वही करूंगी जिसमें किसी को परतंत्र बनाने
का प्रयास सफल न हो सके .क्योंकि इस जंजीर को कहीं से तो तोडना ही होगा
शायद जंजीर तोड़ने के लिए वही कड़ी खोल दूँ जो मेरे हाथ में है .
क्योंकि ये समाज कभी नहीं समझेगा कि स्त्री हो या नदी .
उपेक्षा से दोनों पहले सूखती हैं और फिर धीरे धीरे मर जाती हैं .
काश:माँ कुछ हिम्मत तुमने भी दिखाई होती ........
माँ मुझे क्षमा करना आज तुम्हारी डांट का भी डर नहीं मानूंगी .
#जीवनअनुभव
कहाँ हो तुम ????????
आज बहुत याद आ रही हो .आज कुछ सवाल पूछने हैं
मैंने ये सवाल तुमसे पूछे तो कई बार लेकिन तुम हर बार मुझे बहला लेती थी .
और इसी प्रकार बहलाते बहलाते मेरे सारे सवालों के जवाब बिना बताये
चली गयी .पर आज वही सवाल मुझसे मेरी बेटी पूछती है .
मैं उसे क्या उत्तर दूँ ???
हमारा जन्म भी पुरुषों की तरह ही हुआ है
फिर भी एक शासक और एक शोषित क्यों है ?स्त्री जन्म के रूप में ये कैसी दलदल
है जिसमें हम जन्म से धंसे हुए आती हैं और जीवन भर धंसी रहती हैं ?
ये कैसी शर्त है इस जीवन की इसमें आप स्वयं तो डूबें ही जाने से पहले एक और
स्त्री को इस दलदल में गहरे तक जाने के लिए विवश करें .
बिना शर्त की कुछ और शर्तें भी हैं जिन्हें मानना ही एकमात्र विकल्प है
आपको जीवन भर बस एक ही काम पूरे मनोयोग से करना है कि कोई
स्त्री इस दलदल से निकलना भी चाहे तो उसे नहीं निकलने देना है औरयदि
आप इस पुनीत कार्य में सहयोग नहीं करेंगी तो आप अच्छी स्त्री नहीं हैं
काश: माँ तुम अच्छी स्त्री बनने के लालच में ना पड़ी होती .
क्या मिला आपको ? मुझे छोड़ गयी किसी दलदल में धंसा कर .
और दुनिया वही सब मुझसे चाहती है .
पर मुझे अच्छी स्त्री की उपाधि पाने का कोई लालच नहीं है .मेरे लिए एक स्त्री का अस्तित्व ज्यादा महत्वपूर्ण है .और मै वही करूंगी जिसमें किसी को परतंत्र बनाने
का प्रयास सफल न हो सके .क्योंकि इस जंजीर को कहीं से तो तोडना ही होगा
शायद जंजीर तोड़ने के लिए वही कड़ी खोल दूँ जो मेरे हाथ में है .
क्योंकि ये समाज कभी नहीं समझेगा कि स्त्री हो या नदी .
उपेक्षा से दोनों पहले सूखती हैं और फिर धीरे धीरे मर जाती हैं .
काश:माँ कुछ हिम्मत तुमने भी दिखाई होती ........
माँ मुझे क्षमा करना आज तुम्हारी डांट का भी डर नहीं मानूंगी .
#जीवनअनुभव





