Sunday, May 8, 2016

मातृदिवस मना रहे हो ?????????????????

पिछले दो तीन  दिनों से हवा में कुछ अलग सा अहसास घुलने लगा था | f b की पोस्टों पर ,अखबारों की सुर्खियों में और बच्चों के स्कूलों में हर तरफ एक उल्लास सा दिख रहा था | कल तक हमें भी याद आ चुका था कि कल मदर्स डे है | वैसे तो हम अंग्रेजी परम्पराओं के पक्के विरोधी हैं लेकिन जब बात माँ की आती है तो किसी सूखे हुए घाव की सिलाई खुल जाती है और हमें हमारी माँ बहुत याद आती हैं | कल भी कुछ ऐसा ही हुआ हमने अपनी माँ की याद में अपनी सास को कुछ उपहार भेजा फिर हमारा बेटा हमारे लिए भी उपहार लाया | हम खुश थे आज का मदर्स डे अच्छे से सेलिब्रेट हो गया ..........लेकिन ???????????
खाना खा कर ज्यों ही लेटे माँ सामने खड़ी थी ,माँ की श्वेत हरी साड़ी जो उन्हें अंतिम समय में पहनाई गयी थी आज कुछ पीली सी पड़ रही थी | हमें देखते ही रोना आ गया ! माँ तुम कैसी हो ? कहाँ चली गयी ?तुम उदास क्यों हो ?माँ कुछ देर खामोश रही और फिर बोली मातृदिवस मना रहे हो ????????????
भाव कुछ ऐसा मानो हर शब्द में सैंकड़ो सवाल छिपे हों ......
हमने कहा हाँ ..तुम्हें अच्छा नहीं लगा ?...मैं चाहती हूँ मैं जब तक जिऊँ तुम्हारी बेटी बनकर रहूँ और अगले कई जन्मों में भी तुम्हीं मेरी माँ बनो !
माँ थोड़ी और उदास होकर बोली क्या सच में तुमने मुझे पहचान लिया .....मैं सदियों से तुम्हारी माँ हूँ |
हर जन्म और हर रूप में ,मैं इस सृष्टि में हर जन्मने वाले की माँ हूँ .स्वेदज ,अंडज .उद्भिज , जरायुज ...सबकी !
मैं धरती माँ हूँ जिसकी कसम तुम रोज खाते हो ,मेरे लिए लहू बहा देने की बात करते हो !
मेरी हरी साड़ी पीली पड़ गयी क्योंकि अब साड़ी धोने के लिए मेरे पास स्वच्छ जल नहीं है | तुम हर जन्म में मेरी गोद में पलना चाहती हो लेकिन मेरे स्तनों में अब जीवन दायिनी रसधार नहीं है | मेरी कोख सूख रही है | अपने बेटे से उपहार लिए ,अपनी सास को उपहार दिए ....एक बार मुझसे भी पूछ लेती माँ तुम्हें क्या चाहिए ?
तुम स्वयं एक माँ हो और तुम जानती हो माँ को क्या चाहिए ! मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए | मेरे बच्चों को भरपूर पोषण मिले उसके लिए मेरा स्वस्थ रहना आवश्यक है और उसके लिए एक वर्ष में एक दिन से कुछ न होगा | बस अपने बच्चों से इतना ही मांगती हूँ कि मेरी कोख से अमृत लेकर जहर मत उड़ेलो | थोडा कम में गुजारा कर लो .कुछ माँ को भी दो ताकि मैं उसे कई गुणा करके तुम्हारे बच्चों को लौटा सकूं !
माँ मर जाएगी तब कैसे रहोगे ? ,किसकी गोद में खेलोगे ? मेरे सूखे केश तुम्हें धूप और गर्मी से कैसे बचायेंगे ?
अपनी बूढी माँ को और बूढी मत करो !.तुम चाहो तो मैं फिर से युवा हो सकती हूँ ! मेरी पीली साड़ी फिर से हरी श्वेत हो सकती है !मेरे आंचल में फिर से अमृत की नदियाँ बह सकती है ! .............
मैने वादा करने के लिए अपना हाथ माँ के हाथ की तरफ बढ़ाया पर माँ ?.....
माँ जा चुकी थी .मेरी आँख में आंसू थे और दिल में मलाल ! हमारी माँ की पीड़ा हम कब समझेंगे ?
सभी मित्र मेरी माँ की तरफ से मातृदिवस की शुभकामना स्वीकार करें ........
|| श्री हरि ||

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