Monday, May 2, 2016

||ॐ शांति ||
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आज किसी मित्र ने एक कंजूस भिखारी की कहानी भेजी .सारी कहानी तो हमें याद नहीं पर कहानी का सारांश कुछ यूँ था कि कोई व्यक्ति सम्राट बनना चाहता था तो सम्राट जैसा वैभव इकट्ठा करने के लिए उसने भीख मांगना शुरू किया | दिन भर में उसे जो भी भीख मिलती उसे वह अपने घर के पास किसी जगह गड्ढे में छुपा देता था |इस प्रकार उसे बहुत साल बीत गये और वह अपने जमा धन का हिसाब किये बिना ही मर गया | ......
जब से यह कहानी पढ़ी है तब से मन में एक ही विचार बार बार आ रहा है कि यदि मुक्ति चाहिए .इस संसार सागर से बाहर निकलने की लगन बलवान है और वास्तव में हम परमधन को पाना चाहते हैं तो हमें भी अपने सुमिरन की पूंजी को
किसी ऐसे ही गहरे स्थान पर इकट्ठा करना होगा .जहाँ वो सदा थोडा ही दिखाई दे .और हम उसे भरने के लिए जीवन भर प्रयास करते रहें .हिसाब करने का भी अवसर न मिले | प्रभु में मिलने की हमारी प्यास भी उस कंजूस जैसी ही होनी चाहिए |
शुभ संकल्प .शुभ रात्रि
जय जय श्री राधे

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