Saturday, September 30, 2017

ये कैसी विजय दशमी ? किसकी विजय किस पर ? कौन हारा ? कौन जीतता है इस नकली युद्ध में ? जिन्हें हराना था उनसे तो आप हम लड़े ही नहीं ! बल्कि वो तो चाट पकौड़ी खा रहे हैं ! लडकियाँ छेड रहे हैं विजयदशमी के मेले में ! हर वर्ष आप यही कर रहे हैं ! विजय पर्व वो भी मनाते हैं लेकिन प्रतीकात्मक नहीं बल्कि अपने बच्चों को अभ्यास कराते हैं ! इसी बहाने से !
हमने रक्तबीज का वध किया !नहीं नहीं पढ़ा दुर्गा सप्तशती में ! महिषासुर मर गया और हमने कुट्टू की कचौड़ी खा ली ! फिर काल रात्रि ने असुरों के र्क्टका पान किया ! लेकिन हमने नारियल तोड़ कर माँ को बता दिया कि अब यहाँ बलि देने का रिवाज नहीं रहा ! हम शाकाहारी हो गये और मांसाहारी हमारे मित्र हैं ! भविष्य में वो हमारी बलि देंगे जैसे म्यांमार में दी गयी इस बार ! तो तब तक आप प्रतीक्षा करें !
वो बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं ! आपको ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी ! जल्द ही मानव बलि होंगी !
इस देश के हिन्दुओं को अब नकली त्यौहार मनाने में ही सुविधा लगती है ! आँख में ग्लिसरीन डालकर रोने का अभ्यास जो पड़ गया है !
पूरे देश में रावण ही उपलब्ध कराता है अपने पुतले ! और देशभक्त उन्हें फूंक कर ऐसे खुश होते हैं जैसे बच्चों को थाली में चाँद मिल गया हो ! 
वो हथियार पर धार लगा रहे हैं और हम धाराओं में पिसे जा रहे हैं ! 
कितने पुतले जलाए गये एक एक देशद्रोही भी लपेटते तो रामराज्य आ जाता ! कोई इक्का दुक्का धोबी बचता ! वो बाद में देखा जाता ! 

Wednesday, September 27, 2017

ठगे गये !!!परमात्मा !

श्री हरि ..
Jai Shri hari
Kaise hai Savita ji
दया है गोविन्द की .मुक्ता दी .
Mai to Kal se bahut upset hoo aaj last date hai flate ki deposited ki or Maine usmese paise kharch ker diye the mammy kafi bimar hai unke uper
Bete Delhi se baher hai koi help bhi nahi ker raha amount to Kam hai but duniye hi aise hai
जहाँ गाडी लगी है कैब में वहां ट्राई किया ?
Beta nahi hai Delhi mei
Gari ki nahi gher ki
नहीं हम ये बोल रहे हैं कि घर की इनस्टॉलमेंट में जो अमाउंट कम पड़ रही है उसके लिए वहां बात कर सकती हैं एडवांस के लिए !
Nahi aise nahi dete
या फिर रोक लीजिये थोड़ी पेनल्टी लग जाएगी !
N beta bhi nahi hai naa ana Tha kal but aage nikal gaya
Cheqs nahi rok sakti
सबका ऐसा ही चलता है .हम तो ऐसे ही इधर उधर से करते रहते हैं .
3 000 ke liye sab kharab ho jayega
मेरे पास होते तो अवश्य मदद कर देती लेकिन आपको तो पता है .
Koi baat nahi
अच्छा कब चाहियें !
Aaj evening tak
आप का अकाउंट ऑनलाइन बैंकिग से जुडा है ?
Ji haa
आप नम्बर दीजिये हम अपने बेटे से कहते हैं शायद कुछ हो जाये .
तीन हजार न ?
Ji
Bete ka de Doo icici mei hai
Mera sbi mei hai usme mushkil aati hai
Ptm bhi hai mera
फिर कैसे काम होगा ?
I mean sab tareh se de sakte hai
जहाँ लेना हो वो नम्बर दीजिये !
9205450875
ये क्या है पे टी एम् नम्बर !
Ji
Isme jaldi aa jayenge
अभी चैट रोकिये कोशिश करते हैं .
Ok
जी .
पे टी एम् से 2% कटेगा .
Ji
But jaldi aa jayenge
इसलिए आप अपना एस बी आई का अकाउंट नम्बर और i f s c कोड दीजिये .बेटा ट्रांसफर कर देगा .
Theek hai
Ager sbi Mei online dikkat ayi to bete ka ICICI ka de dungi atm mere hi pass hai
जो भी चाहो दे दो !
हमारा मौन है अभी वो ऑनलाइन है .
Sbi bank account no 35666529573 ifsc code SBIN0016120
Mukta grover
ji .
Ji
विशाल को सेंड कर दी है डिटेल ,अभी थोड़ी देर में बताते हैं आपको !
Thank u I'm waiting
Aapko bhi tang ker diya
अच्छा फ्लेट खरीद रहे हैं अथवा किराये का है ?
Kiraye ka hai but jo apna book kerwaya hai uski instalment hai
Pehle 2 the hubby ki bimar hone se or gari ke kaam ke liye beche the
कोई बात नहीं ये तो ढलती चलती छाया है .कभी इस घर कभी उस घर .
हम पति के होते हुए भी छ महीने पहले तक किराये के घर में थे .
अब बेटे के नाम से लोन कराया है तब जाकर छोटी सी छत नसीब हुई है .
अच्छा आप चैक कर लीजिये .
उसने भेज दिए हैं .
Ji
आ गये क्या ?
Cheq kerti hoo
ठीक है आ जाएँ तो विशाल गोयल के नम्बर पर बता दीजियेगा ! 8439346499.
Atm se nikalne jati hoo fir batati hoo
कोई बात नहीं .हम ऑफ़ लाइन हो रहे हैं अब .
जय जय श्री राधे गोविन्द .
Jai Shri hari
ये तब का अंदाज है जब लोगो को आपसे काम निकलना होता है ! और जब वापिस मांगों तो अंदाज कुछ ऐसा होता है !!

नमो नारायण मुक्ता जी ! अब अपने बेटे से कहकर कुछ हमारा भी सोचो दो महीने होने को आये हैं !
ऐसे तो विश्वास करना मुश्किल हो जायेगा समाज में !

Jai shri hari savita ji maine apse mana to nahi kiya kuch aise bari pareshanj ho jati hai her kisi ki life mei jo batai nahi jati 3000 rs ke liye aap aisa likh dati hai ajeeb lagta hai bhagwan ko manti hai na to bharosa bhi rakhiye
ओह ये हमारी गलती है ! हमें सोचना चाहिए कि तीन हजार होते ही कितने हैं आप बड़े लोगो के लिए ! लेकिन हमें कुल साढ़े सात हजार में पूरा महीना निकालना होता है ! इसलिए तीन हजार काफी लगते हैं हमें ! सॉरी ! इट्स ओके ! भगवान को मानते हैं तभी तो एक घंटे में ट्रांसफर कर दिए और वो भी महीने की अंतिम तारीखों में ! सच में आप महान हैं आपने हमें भगवान समझा ! और भगवान से लेकर कौन लौटाता है ! भगवान को जरूरत भी कहाँ होती है ! धन्यवाद नारायण ! ईश्वर आपकी सहायता करे !
Nahi aP galat samjhi maine kaha ki bharosa rakhiye de dungi
मुक्ता जी पैसे भेजिए ! दो महीने हो गये हैं ! हमारी भी जरूरते हैं !

Zaroor ji but 2 nahi sawa mahina hua hai apne to sabr hi kho diya hai chinta mat kijiye milenge
लोग कहते हैं कि भगवान नहीं मिलता ! देखिये हमें मिला ! नमो नारायण !!
 मुक्ता जी पैसे भेजिए ! हमने गौशाला शुरू की है ! धन की आवश्यकता बढ़ रही है ! हमारे न दें गोविन्द के तो दें ! ऐसा न हो तीन के तीस निकल जाएँ ! भक्तों को ठगना दुःख दायी हो सकता है ! बाद में हमें दोष न देना ! नमो नारायण !

Savita ji ager aap aise bad duai dengi to kya apki bhakt hai. Apke vichar itne sunder lagte hai or 3 000 ke liye aap kisi ko baddua bhi de sakti hai jabki wo dene ka mana bhi na kere govind sabke hai mujhe bhi kuch to jante hi honge wo aise vichar mat rakhiye mere bare mei bhagwan sab dekhte hai acha kiya hai apne wo bhi dekha or bura kahengi to wo bhi. Maine galat kaha to mujhe bhi.aapne mujhe thag kaha kya ye kisi ko kehtna uchit hota hai sochiyega
Kuch bhi kehne se pehle apko words dekhne chahiye

हम कुछ नहीं हैं मुक्ता जी ! हम बस एक थोथा बांस हैं ! जैसी फूंक मारो वैसा स्वर निकलता है ! आपने प्रेम से मित्र कहा हमने प्रेम लुटा दिया ! सवाल ये नहीं है कि कितना ,सवाल ये है कि हमने सब लुटा दिया ! उस दिन आपको तीन हजार देने के लिए हमारे बेटे ने अपना अकाउंट खाली कर दिया ! आपके लिए वो सिर्फ तीन हजार हैं आज लेकिन उस दिन वो आपके लिए भी सर्वस्व थे और हमारे लिए भी ! आप जो बो रही हैं वही उग रहा है ! आपने पोजेटिव बोया पोजेटिव पाया ! अब आप हमारी मजबूरी का फायदा उठाते हुए नेगेटिव बो रही हैं तो वही काटेंगी ! हमारा न जब कोई रोल था न अब कोई रोल है ! हमारे आस पास वाले इस बात को जानते हैं ! इसलिए सबका प्रयास रहता है कि हमारे आस पास नकारात्मकता न बोयी जाये ! आप समझदार होंगी तो अपने बेटों को बता सकती हैं हमारे पैसों के बारे में ! बाकी आपकी इच्छा और परमात्मा का फैसला ! दारुण दुःख देता है तो मति पहले हर लेता है ! 
ये सोचने विचारने का धंधा एक अरसा हुआ छोड़ चुके हैं ! बहते दरिया सा जीवन है कभी भर भर के उफनते हैं कभी खुद भी प्यासे रह जाते हैं !
नमो नारायण

Monday, September 25, 2017

नवदुर्गा*- एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है नवदुर्गा के नौ स्वरूप !

1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या *"शैलपुत्री"* स्वरूप है !


2. कौमार्य अवस्था तक *"ब्रह्मचारिणी"* का रूप है !

3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह *"चंद्रघंटा"* समान है !

4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह *"कूष्मांडा"* स्वरूप है !

5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री *"स्कन्दमाता"* हो जाती है !

6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री *"कात्यायनी"* रूप है !

7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह *"कालरात्रि"* जैसी है !

8. संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से *"महागौरी"* हो जाती है !

9 धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि (समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली *"सिद्धिदात्री"* हो जाती है !

Sunday, September 17, 2017

पर उपदेश कुशल बहुतेरे ..........................

पर उपदेश कुशल बहुतेरे ! जे आचरहिं ते नर न घनेरे !
कुछ विद्वानों की सभा में एक समसामयिक प्रश्न रखा था हमने !कि वर्तमान समय में श्राद्ध कर्म की विधि में क्या कुछ परिवर्तन किये जा सकते हैं ? ग्रुप था --प्रश्नोत्तर -आपके प्रश्न सबके उत्तर !!
पहले कुछ टिप्पणियों को देंखें ..........

वो जिन्होंने प्रश्न समझा और एक जैसी ही परस्थिति का सामना कर रहे हैं -----
#नरेंद्रसिंह चौहान . बहुत बहुत .. बहुत ही अपेक्षित प्रश्न । आवश्यक है ये ।
 हम #सविता गोयल ....
आज अधिकांश लोग नौकरी पेशा हैं ! जो नौकरी नहीं कर रहे हैं उन घरों के बच्चे स्कूल कालेज आदि जाते हैं ! महिलाएं भी कामकाजी हैं ! ब्राह्मण अपने जातकर्म व्यवहारों में लज्जा का अनुभव कर रहे हैं ! 60 -70 %ब्राह्मणों में जनेऊ विवाह के समय धारण कराया जा रहा है ! और वो भी परम्परा के लिए ही ! उन्हें जनेऊ की मान्यता और नियम का कोई ज्ञान ही नहीं कराया जा रहा है ! और एकादशी महात्म्य में हमने पढ़ा है कि परमात्मा और पितरों के निमित्त कुछ भी दान आदि पात्र व्यक्ति को ही दें ! अपात्र को दिया गया दान विपरीत फल देता है ! ऐसे में शास्त्रीय विधि से श्राद्ध होना काफी जटिल क्या असम्भव सा हो गया है ! इसलिए वर्तमान परिपेक्ष्य में सुधार अपरिहार्य आवश्यकता बन गयी है !

#कुलभूषण सिंघल जी ..
बहुत सुंदर प्रश्न है, बदलाव तो हो रहा है । मेरे विचार से हर व्यक्ति को अपना सकारात्मक अनुभव बताना चाहिये 
आदरणीय #उर्मिला लाम्बा जी..
हमारे यहाँ भी ये समस्या है. मंदिर में भी सब देते हैं तो वहाँ भी बहुतायत के कारण वेस्टेज ही जाता है. पितरों के निमित्त श्रद्धा से निकाला हुआ भोजन आप गरीबों को खिलाईये. उनके भूखे बड़े बूढ़े, बच्चे सब तृप्त होंगे तो परमात्मा भी प्रसन्न होगा.

आदरणीय #वैभव कुमार ---
कौन करेगा?
कौन मानेगा?
कही स्थानों पर तो कौआ नहीं मिलता आप फिर भी ब्राह्मण के शोध में है😂

आदरणीय #ओम शुक्ल जी ...
तो,क्या राजघाट पर और शान्तिवन हर साल होनेवाली शोक सभायें बन्द हो जायेंगी,नहीं ना.?
यह सब भ्रम डाला जा रहा है,चर्च में आज भी शोक सभायें होतीं है,मस्जिद में आत्म शान्ति के लिए फातया आज भी पढा जाता है,किन्तु हमारी संस्कृति शोक में भी कहती है,लोगों पर परोपकार करो,भुकों को भोजन करावो,और जिस भावना के साथ परोपकार करो,वह उसी रुप में फलीभूत होता है,हां थोड़ा श्राद्धपक्ष को और अधिक अच्छे से समझने की जरुरत है,श्राद्धपक्ष में भूखे  लोगों को भोजन करवावें !


आदरणीय #ओमप्रकाश भट्ट जी --
व्यवस्था शास्त्र में ही है। किसी गाय को केवल उसी समय काट कर घास खिलाएं यदि इतना भी नहीं होसकता तो अपने दोनों हाथों को हम खड़ा कर अपने पितरों से क्षमा याचना कर दें। अब इससे ज्यादा क्या कर सकते हैं।

आदरणीय #सुधांशु शुक्ल जी --
मेरा मत है कि यदि आप समर्थ है सब करने को...और कोई योग्य ब्राह्मण न मिले तो संभावित ब्राह्मणो मे जो अपेक्षाकृत श्रेष्ठ हो उसे भोजन दक्षिणादि करें.... भूखे बुजुर्गों को भी खिलाईए...उन्हें रोज खिलाईए....दान करिए...परंतु श्राद्ध में ब्राह्मणों को भी दानादि किजिए.....

आदरणीय #राजेन्द्र प्रसाद शर्मा जी ...
श्राद्ध श्रद्धा का विस्तारित स्वरूप तो है ही। श्राद्ध विधा से जुडा एक विज्ञान भी है। इस क्षेत्र के स्कौलर्स का कर्तव्य व दायित्व है। हमारे जैसे लोगों का सहयोग उन्हें मिलेगा। गायत्रीपरिवार का साहित्य, कल्याण का परलोक व पुनर्जन्म अंक एवं मृत्युविज्ञान, धर्मनिर्णय, निर्णयसिन्धु एवं मृत्युविषयक साहित्य के आधार पर श्राद्धकर्म को समाचीन स्वरुप बडी आसानी से किया जा सकता है। यह दायित्व एक टीम द्वारा होना चाहिये, जिसके ऊपर एक निर्णायक मंडल हो जो इसे अंतिम रूप दे।
प्रश्न यह है कि इसे कराये कोंन ?
मेरे विचार में यह दायित्व हमारे शंकराचार्यों द्वारा किया जाना चाहिए।
सादर।।

आदरणीय #स्वामी राघवेन्द्रदास स्वर्गाश्रम --
श्रीराम! कुछ न कुछ परिवर्तन ,जिसंसे कि मूल स्वरूप और उद्देश्य भी बना रहे, ,कर लेना चाहिए।।
किन्तु कब कितना परिवर्तन करना है, यह विवेक बड़ा कठिन है।


फिर कुछ वो जो पूरे समाज को डराते हैं शास्त्रों का भय दिखाकर !

भगवान श्रीराम ने गयाजी में अपने पितरों का पिंड दान कर श्राद्ध किया था यह आस्था से एवं अपनी जीवनी की जड़ की परंपरा से जुड़ा है इसमें बदलाव हमारे हिसाब से ठीक नहीं है इस से तो बेहतर है वह इसे ना करें और पश्चिमी देश की संस्कृति को अपना जय जय श्री कृष्णा..
कई ब्राह्मण मित्र जो शास्त्रों के ठेकेदार से लगते हैं ! स्वयं पर आते ही व्यक्तिगत प्रश्न बताकर भडक उठे ! 
एक ने तो स्त्री से विवाद को साक्षात् मृत्यु का लक्षण कह डाला !हमने अपना समाधान जो निजी अनुभव पर आधारित था दिया  !

सब पिसे हुए को पीस रहे हैं लिख लिखाया परोस रहे हैं ! थोडा कटु लग सकता है लेकिन सत्य यही है कि शास्त्रों की कुछ बातें बदलते परिपेक्ष्य में अप्रसांगिक होने लगी हैं ! ब्राह्मणों ने इसका कोई समाधान नहीं ढूंढा क्योंकि समाज में प्रचलित प्रथाओं को बदलना दीवारों सहित मकान की जमीन बदलने से भी अधिक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है !
हमारा कोई लालच नहीं ! न यजमान के रुष्ट होने का न परिवार के रुष्ट होने का ! वर्तमान परिपेक्ष्य में हमने जो रास्ता निकाला है उसे यहाँ रख रहे हैं ! जिससे परम्पराएँ भी बची रहें ! बच्चों को कम से कम अपने चार पीढ़ी के पूर्वजों के नाम अवश्य याद भी रहें और उनको अपनी परम्पराओं पर गर्व भी रहे !
हम पिछले चार सालो से श्राद्ध को परम्परा गत तरीके से नहीं करते ! बल्कि पूरे चौदह दिनों तक करते ही नहीं ! इसके बाद पितृविसर्जिनी अमावस्या को पन्द्रह दिन का राशन मंगवाते हैं ! रसोई का लगभग सभी सामान होता है ! जैसे हल्दी मिर्च जीरा नमक धनिया रिफाइंड तेल सरसों का तेल .देशी घी ,चीनी ,चावल दाल आटा दूध का पैकिट . लगभग सभी तरह की कच्ची सब्जियां ! कुछ वस्त्र और दक्षिणा ! ये सब सामन एक बड़े बर्तन में रखते हैं और जल हाथ में लेकर अपने सभी दिवंगत पूर्वजों को याद करके संकल्प छोड़ देते हैं ! ये कार्य हमारा बेटा करता है ! उस दिन छुट्टी हो न हो वो अपने आफिस से छुट्टी लेता है नारायण !
पिछले चार सालो में हम बहुत ही आनंद पूर्वक ये कर रहे हैं और कहीं कोई परेशानी नहीं है नारायण !


तो तुरंत ही फिर एक पंडित जी जो स्वयं ब्राह्मण वृति छोड़ चुके हैं ! आ गये होठ बिचकाने !!

इसे आमान्य श्राद्ध कहते हैं सविता जी। लेकिन ये विकल्प ही है। जिसमें श्राद्धान्न निकाल कर सकल्प पूर्वक किसी ब्राह्मण को दे दिया जाता है।
 
 तो सज्जनों मतलब स्पष्ट है कि ब्राह्मण चाहे जो करे लेकिन बाकी समाज को शास्त्र की वही व्याख्या मंजूर होनी चाहिए जो ये पंडित कहें !!इति वार्ता:
नमो नारायण !!

Saturday, September 16, 2017

छत पर पतंग आ गिरी है !कुछ अजनबी बच्चे उस पतंग के पीछे दौड़ते हुए गली तक आ गये हैं ! निगाहें पतंग के साथ साथ आसमान की ओर उठी हैं !और एक घर के दरवाजे पर आकर दौड़ थमी है ! क्योंकि पतंग उसी घर की छत पर जाकर गुम हो गयी है ! कैसे जाएँ छत तक ! सीढियाँ सामने हैं लेकिन गृह स्वामिनी दरवाजे पर ही बैठी हैं ! एक छोटा बच्चा कहता है ! आंटी हमारी पतंग आपकी छत पर चली गयी ! आंटी मौन है ! बच्चा फिर पूछता है !ले आयें क्या ? और आंटी शरारती बच्चे की तरह गर्दन हिला देती हैं ना की मुद्रा में ! लेकिन बच्चों की दृष्टि ताड़ गयी है प्रेम की निश्छलता को ! वो गये नहीं हैं खड़े हैं ! सबकी नजर छत पर है और आंटी की नजर बच्चों पर ! और जैसे ही एक सांवले से बच्चे से आंटी की नजर टकराई दोनों ही मुस्कुरा पड़े !और मानों संकेत हो गया मित्रता का !
बच्चा आगे बढ़ कर पूछता है ! ले लें आंटी !आपके किस काम की ! मानों जाते जाते याद दिलाता है कि आप अब बच्ची नहीं रहीं ........
आंटी मुस्कुराते हुए छत की ओर इशारा कर देती हैं ! मानों इतनी सी चंचलता ही पर्याप्त है और साथ ही धन्यवाद भी ! बचपन से बचपन को मिलाने के लिए !
जब आप प्रेम पूर्ण होते हैं ,सहज होते हैं तो समस्त अस्तित्व प्रेम पूर्ण और सहज होता है ! आपको किसी से कहना न पड़ेगा कि हम प्रेम पूर्ण हैं आपकी दृष्टि जिस तरफ उठेगी आप देखेंगे कि उस ही दिशा से प्रेम का सूर्य आपको प्रकाशित करने को तत्पर है ! प्रेम को शब्दों की आवश्यकता नहीं है ! शब्द निरर्थक हैं ! कभी आप ठीक से कह न पाए ,कभी हम ठीक से समझ न पायें ! हम कुछ और सुनना चाहते थे आपने कुछ और कह दिया ! हो गयी गड़बड़ !
लेकिन मौन वही कहता है जो आप कहना चाहते हैं और लोग वही समझते हैं जो वो समझना चाहते थे !
वैसे होता तो शब्दों में भी यही है ! आप अपने भाव में कहें लोग अपने भाव में समझेंगे !!!!!!! मौन में फिर भी कुछ संभावना बचती है कि अर्थ का अनर्थ न हो !
चेहरे की मुस्कान सामने वाले को प्रेरित करती है कि आप जो कहेंगे सकारात्मक ही होगा इसलिए एक प्रेमपूर्ण दृष्टि के उठने भर से बहुत सी जटिलताएं कम हो जाती है !

Friday, September 15, 2017

आइए, आज व्हाट्सएप्प के इमोजी की सहायता से दुनिया की सबसे वैज्ञानिक, सबसे प्रतिष्ठित, सबसे अधिक उपयोगी और निस्संदेह सर्वश्रेष्ठ भाषा *संस्कृत* देवभाषा सीखते हैं..
😀 - हसति -हंसता \ती ,है।
😬 - निन्दति--निंदा करता /करती है।
😭 - रोदिति --रोता/रोती है।
😇 - भ्रमति--घूमता /ती है।
🤔 - चिन्तयति --चिंतन करता/ती है।
😡 - कुप्यति --नाराज होता /ती है।
😴 - स्वपिति --सोता /ती है।
😩 - क्षमां याचते / जृम्भते ---क्षमा मांगता /ती है। जम्हाई लेता/ ती है।
😳 - विस्मयो भवति / निर्निमेषं पश्यति --विस्मित होता/ती है। एकटक, अपलक देखता/ती है।
😌 - ध्यायति --ध्यान करता/ती है।।
👁 - पश्यति --देखता/ती है।
🗣 - वदति --बोलता, कहता /ती है।
- लिखति --लिखता है।
🙏� - प्रणमति --प्रणाम करता है।
👉 - निर्दिशति --निर्देश देता है।
🙌 - आशिषति --आशीर्वाद देताहै।
👃 - जिघ्रति --सूँघता है। 🚶🏻- गच्छति --जाता है।
🏃🏻- धावति --दौड़ता है।। 💃🏻 - नृत्यति --नाचता है।
विमानम् --विमान।।🎁 उपायनम् --उपहार।
🚘 यानम्--वाहन, सवारी।
💺 आसन्दः / आसनम् --आसन ।
नौका--नाव।।🗻 पर्वत:।🚊 रेलयानम् ।
🚌 लोकयानम् --बस।।🚲 द्विचक्रिका --साएकल।
🇮🇳 ध्वज:--झंडा ,पताका।।।🐰 शशक:--खरगोश।।
🐯 व्याघ्रः--बाघ।। 🐵 वानर:--बंदर।।
🐴 अश्व:।🐑 ।मेष:--भेंड़।।🐘 गज:--हाथी।
🐢 कच्छप:--कछुआ। 🐜 पिपीलिका--चींटी।
🐠 मत्स्य:--मछली।।🐄 धेनु:--गाय।
🐃 महिषी-- भैंस। 🐐 अजा--- बकरी।
🐓 कुक्कुट:--म
🐕 श्वा / कुक्कुरः / सारमेयः (श्वा श्वानौ श्वानः) ।
🐁 मूषक:।🐊 मकर:--। 🐪 उष्ट्रः।
🌸 पुष्पम् ।🍃 पर्णे (द्वि.व)। 🌳 वृक्ष:।
🌞 सूर्य:। 🌛 चन्द्र:। तारक: / नक्षत्रम् ।
छत्रम् । 👦 बालक:। 👧 बालिका । 👂 कर्ण:।
👀 नेत्रे (द्वि.व)। 👃नासिका । 👅 जिह्वा । 👄 औष्ठौ (द्वि.व) ।
👋 चपेटिका । 💪 बाहुः । 🙏 नमस्कारः।
👟 पादत्राणम् (पादरक्षक:) ।।👔 युतकम् -
💼 स्यूत:।।👖 ऊरुकम् ।
👓 उपनेत्रम् ।।💎 वज्रम् (रत्नम् ) ।
💿 सान्द्रमुद्रिका ।।🔔 घण्टा ।
🔓 ताल:।।🔑 कुञ्चिका ।
घटी।।💡 विद्युद्दीप:।।🔦 करदीप:।
🔋 विद्युत्कोष:।।🔪 छूरिका ।
अङ्कनी । 📖 पुस्तकम् ।
🏀 कन्दुकम् । 🍷 चषक:। 🍴 चमसौ (द्वि.व)।
📷 चित्रग्राहकम् । 💻 सड़्गणकम् ।
📱जड़्गमदूरवाणी । स्थिरदूरवाणी ।
📢 ध्वनिवर्धकम् । समयसूचकम् ।
हस्तघटी । 🚿 जलसेचकम् ।
🚪द्वारम् । 🔫 भुशुण्डिका ।(बु?) ।
🔩आणिः । 🔨ताडकम् ।
💊 गुलिका/औषधम् । 💰 धनम् ।
पत्रम् । 📬 पत्रपेटिका ।
📃 कर्गजम्/कागदम् । 📊 सूचिपत्रम् ।
📅 दिनदर्शिका । कर्त्तरी ।
📚 पुस्तकाणि । 🎨 वर्णाः ।
🔭 दूरदर्शकम् । 🔬 सूक्ष्मदर्शकम् ।
📰 पत्रिका । 🎼🎶 सड़्गीतम् ।
🏆 पारितोषकम् । पादकन्दुकम् ।
चायम् । 🍵पनीयम्/सूपः ।
🍪 रोटिका ।🍧 पयोहिमः ।
🍯 मधु । 🍎 सेवफलम् ।
🍉कलिड़्ग फलम् । 🍊नारड़्ग फलम् ।
🍋 आम्र फलम् । 🍇 द्राक्षाफलाणि ।
🍌कदली फलम् । 🍅 रक्तफलम् ।
🌋 ज्वालामुखी । 🐭 मूषकः । 🐴 अश्वः । 🐺 गर्दभः ।
🐷 वराहः