ये कैसी विजय दशमी ? किसकी विजय किस पर ? कौन हारा ? कौन जीतता है इस नकली युद्ध में ? जिन्हें हराना था उनसे तो आप हम लड़े ही नहीं ! बल्कि वो तो चाट पकौड़ी खा रहे हैं ! लडकियाँ छेड रहे हैं विजयदशमी के मेले में ! हर वर्ष आप यही कर रहे हैं ! विजय पर्व वो भी मनाते हैं लेकिन प्रतीकात्मक नहीं बल्कि अपने बच्चों को अभ्यास कराते हैं ! इसी बहाने से !
हमने रक्तबीज का वध किया !नहीं नहीं पढ़ा दुर्गा सप्तशती में ! महिषासुर मर गया और हमने कुट्टू की कचौड़ी खा ली ! फिर काल रात्रि ने असुरों के र्क्टका पान किया ! लेकिन हमने नारियल तोड़ कर माँ को बता दिया कि अब यहाँ बलि देने का रिवाज नहीं रहा ! हम शाकाहारी हो गये और मांसाहारी हमारे मित्र हैं ! भविष्य में वो हमारी बलि देंगे जैसे म्यांमार में दी गयी इस बार ! तो तब तक आप प्रतीक्षा करें !
वो बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं ! आपको ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी ! जल्द ही मानव बलि होंगी !
इस देश के हिन्दुओं को अब नकली त्यौहार मनाने में ही सुविधा लगती है ! आँख में ग्लिसरीन डालकर रोने का अभ्यास जो पड़ गया है !
पूरे देश में रावण ही उपलब्ध कराता है अपने पुतले ! और देशभक्त उन्हें फूंक कर ऐसे खुश होते हैं जैसे बच्चों को थाली में चाँद मिल गया हो !
वो हथियार पर धार लगा रहे हैं और हम धाराओं में पिसे जा रहे हैं !
कितने पुतले जलाए गये एक एक देशद्रोही भी लपेटते तो रामराज्य आ जाता ! कोई इक्का दुक्का धोबी बचता ! वो बाद में देखा जाता !
हमने रक्तबीज का वध किया !नहीं नहीं पढ़ा दुर्गा सप्तशती में ! महिषासुर मर गया और हमने कुट्टू की कचौड़ी खा ली ! फिर काल रात्रि ने असुरों के र्क्टका पान किया ! लेकिन हमने नारियल तोड़ कर माँ को बता दिया कि अब यहाँ बलि देने का रिवाज नहीं रहा ! हम शाकाहारी हो गये और मांसाहारी हमारे मित्र हैं ! भविष्य में वो हमारी बलि देंगे जैसे म्यांमार में दी गयी इस बार ! तो तब तक आप प्रतीक्षा करें !
वो बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं ! आपको ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी ! जल्द ही मानव बलि होंगी !
इस देश के हिन्दुओं को अब नकली त्यौहार मनाने में ही सुविधा लगती है ! आँख में ग्लिसरीन डालकर रोने का अभ्यास जो पड़ गया है !
पूरे देश में रावण ही उपलब्ध कराता है अपने पुतले ! और देशभक्त उन्हें फूंक कर ऐसे खुश होते हैं जैसे बच्चों को थाली में चाँद मिल गया हो !
वो हथियार पर धार लगा रहे हैं और हम धाराओं में पिसे जा रहे हैं !
कितने पुतले जलाए गये एक एक देशद्रोही भी लपेटते तो रामराज्य आ जाता ! कोई इक्का दुक्का धोबी बचता ! वो बाद में देखा जाता !
