Monday, June 19, 2017

31 मार्च !!

हैल्लो !! मैडम कल 31 मार्च है ! याद है ना ! इयरली क्लोजिंग है ! सुबह समय से ऑफ़िस पहुंचें ! देख लीजिये और कितना बिजनैस सबमिट करा सकती हैं ! ऑफ़िस रात बारह बजे तक चलेगा !  टार्गेट से ज्यादा अचीव करने का प्रयास करें !
जी सर ! कहते हुए फोन रखा और जल्दी जल्दी घर के काम समेटते हुए अनुराधा मन ही मन सम्भावित इन्वेस्टर्स पर नजर दौड़ाने लगी ! जिनमें कुछ तो ऐसे थे जिनसे कई बार चर्चा हो चुकी थीऔर कुछ ऐसे भी थे  जिन्हें कभी चलते चलते यूँ ही परिचय दिया था और भविष्य के लिए डायरी में नम्बर नोट कर लिया था !
अनुराधा एक इंश्योरेंस कम्पनी में एडवायजर थी और उसका पूरा प्रयास रहता कि अपने कस्टमर्स को बेहतर से बेहतर प्लान दे लाईफ और टेक्स दोनों बचाने का !
31 मार्च उसकी लाईफ में हमेशा ही चुनौती देते हुए आता है! जाने कब तक ?
उसे आज भी याद है जब 31 मार्च ने उसे पहली बार चुनौती दी थी !
हाँ वो 31 मार्च ही था ! उसके जीवन का अठारहवां बसंत और कठिन परिस्थितयों से जूझते हुए बारहवीं की परीक्षा का अंतिम दिन !
वो चाहती थी जैसे जिद करके यहाँ तक पहुंची है आगे भी जाये और किसी तरह ग्रेजुएशन कर ले ! फिर बी.एड .और फिर अपने सपनों की जिन्दगी ! सपने भी कोई बहुत बड़े न थे बस संस्कृत से विशेष लगाव था सो संस्कृत की मैडम से भी विशेष लगाव था ! और वो भविष्य में स्वयं को उसी तस्वीर में देखना चाहती थी ! लेकिन ?
क्रमशः---------

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