बड़ा गुरुर था हम चेहरा पढना जानते हैं ,
किसी के झूठ सच में फर्क करना जानते हैं
फिर एक दिन हमें एक गौहरे नायाब मिला .
हमें यकीं था हम हीरे को भी पहचानते हैं .
हम अपने आपको जौहरी बताते फिरते थे
किसी शहर में हीरों की तिजारत करते थे ,
फिर एक दिन हमें मलाल हुआ .
खुला जो राज फिर ऐसा बड़ा कमाल हुआ .
वो शहर जिसमें बड़े कोहिनूर मिलते थे
वो सारे कांच थे जो खान में निकलते थे
हमें तो अब तलक यकीं नहीं आता .
कि हमने कांच को भी कोहिनूर कह डाला .
हमारे हार में वो सबसे आगे दिखता है .
हमारी हार हुई सबसे कहता फिरता है .
हमारी कशमकश हर रोज बढती जाती है
उतारें हार या फिर हार को हरा डालें
किसी के झूठ सच में फर्क करना जानते हैं
फिर एक दिन हमें एक गौहरे नायाब मिला .
हमें यकीं था हम हीरे को भी पहचानते हैं .
हम अपने आपको जौहरी बताते फिरते थे
किसी शहर में हीरों की तिजारत करते थे ,
फिर एक दिन हमें मलाल हुआ .
खुला जो राज फिर ऐसा बड़ा कमाल हुआ .
वो शहर जिसमें बड़े कोहिनूर मिलते थे
वो सारे कांच थे जो खान में निकलते थे
हमें तो अब तलक यकीं नहीं आता .
कि हमने कांच को भी कोहिनूर कह डाला .
हमारे हार में वो सबसे आगे दिखता है .
हमारी हार हुई सबसे कहता फिरता है .
हमारी कशमकश हर रोज बढती जाती है
उतारें हार या फिर हार को हरा डालें
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